जबकि तुम सोचते भी हो और बोलते भी हो। जबकि तुम सोचते भी हो और बोलते भी हो।
ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे छूने को जी करता है, ना जाने क्यों तुझे पाने को जी करता है,
फिर सारे पापों को, धोने के लिए गंगा नहा आते हैं। फिर सारे पापों को, धोने के लिए गंगा नहा आते हैं।
यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा। यही है मानवता की चाह हर बालक का बचपन हो बचपन जैसा।
आखिर बेटी हूं ना उनकी। आखिर बेटी हूं ना उनकी।
कड़वी वाणी नहीं बोलना पैसे से प्यार नहीं तोलना। कड़वी वाणी नहीं बोलना पैसे से प्यार नहीं तोलना।